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7 Old Temple in India…हेलो दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि भारत अपने पुराने इतिहास और अपने संस्कृति के कारण पूरे विश्व में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है यहां कदम कदम पर वीरता है पाई जाती है जैसा जैसा आप एक जगह से दूसरी जगह बढ़ेंगे आपको हर कदम पर लोगों के पहनावे से लेकर के बोली तक साथी खानपान और साथ ही तौर तरीके में फर्क देखने को मिलेगा और साथ ही भारत का इतिहास जो है बहुत ज्यादा भारत के अंदर प्रसिद्ध उनके मंदिरों से जुड़ा हुआ है तो इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि भारत के सबसे पुराने 10 ऐसे प्रसिद्ध मंदिर तो आइए शुरू करते हैं।
सबसे पहले नम्बर पर है। Konark Sun Temple…भगवान ने सूर्य को समर्पित यह मंदिर उड़ीसा के पुरी जिले में स्थिर है। जिसे 1250 यार्ड में पूर्वी गंगा राजवंश के राजा नरसिंह देव के द्वारा बनाया गया था इस मंदिर की खास बात यह है कि यह एक विशाल रथ के आकार का बना हुआ है। इसके पिया रात यह पूरे ही एक पत्थर के बने हुए हैं साथ ही इसमें मंदिर मैं औरतों के 12 जोड़े किए हैं |
जो के हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों को प्रदर्शित करता है और प्रत्येक महीने के दो चक्र है जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को प्रदर्शित करता है मंदिर का एक बड़ा हिस्सा जो कि 200 मीटर पूछा था जो कि अब नष्ट हो चुका है 15 वीं और 70 वीं शताब्दी मैं मुस्लिम आकर मिलो कार्यों के द्वारा इस मंदिर पर हमला किया गया था जिससे यह मंदिर तोड़ा सा नष्ट हो गया था।
जगन्नाथ मंदिर जो कि कृष्ण भगवान का एक दूसरा रूप है यहां मंदिर उड़ीसा के पूरी में स्थित है जिसका निर्माण बरावी शताब्दी में गंगा राजवंश के राजा आनंद वर्मा के द्वारा किया गया था। इस मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है और यहां पर गैर हिंदू के प्रवेश करने की अनुमति नहीं है यहां हर साल पूरे साथ साथ यात्रा निकाली जाती है और रात को विशाल मंदिर की तरह बनाया जाता है। जिसमें भगवान की मूर्ति रखी होती है और लोग रात को खींचते हैं और यह दृश्य बहुत ही ज्यादा सुंदर होता है जिसे देखने में बहुत ही अच्छा लगता है यदि आपको कभी टाइम मिले तो जगन्नाथ मंदिर पर अवश्य ही जाएं।
जैसा कि इसके नाम सही पता लग रहा है कि यह शिव जी का मंदिर है जोकि उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है इसे 11वीं शताब्दी में राजा जजती केशरी के द्वारा निर्मित किया गया था। इस मंदिर के मुख्य गुंबद की ऊंचाई 180 फीट है सातवीं शताब्दी के कुछ संस्कृत ग्रंथों के माने तो इसका कुछ हिस्सा छठी शताब्दी के दौरान बनाया गया था साथ ही इसकी खास बात यह है कि इसमें केवल हिंदू लोगों को ही प्रवेश किया दिया जाता है।
भगवान शिव को समर्पित या मंदिर तमिलनाडु के तंजावर के कावेरी नदी के दक्षिण तट पर स्थित है यह मंदिर चौहान वंश के राजा राजा राजा चोल एक के द्वारा बनाया गया था। वृद्धेश्वर मंदिर world heritage का एक हिस्सा भी है।
यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के एलोरा नाम के एक जगह पर स्थित है। दिशा आठवीं शताब्दी के राष्ट्रकूट राजा कृष्ण के द्वारा बनाया गया था। इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर पूरा का पूरा एक पत्थर को काट करके बनाया गया है औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने की पूरी कोशिश की थी लेकिन इसमें वह सफल नहीं हो पाया और बाद में इसमें देवी शक्ति होने के कारण उसने हार मान ली।
यहां मंदिर गुजरात के जूनागढ़ में स्थित है जो कि यहां मंदिर अन्य मंदिरों की तरह बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर सातवीं शताब्दी में शयोना राजवंश के द्वारा बनाया गया था इस मंदिर को कई बार विदेशों आक्रमणकारियों के द्वारा नष्ट किया गया लेकिन इसे फिर से दोबारा बना दिया गया। आक्रमणकारियों के द्वारा जब इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था तब वल्लभ भाई पटेल के द्वारा इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया। और यह मंदिर मई 1950 तक बनकर पूरी तरह से तैयार हो गया।
मीनाक्षी टेंपल या मंदिर तमिलनाडु राज्य के मदुरई में स्थित है इसीलिए इसे मदुरई मीनाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है और साथ ही इसमें ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर छठी शताब्दी में बनाया गया था और फिर कई बार इसे कई राजाओं के द्वारा कई बार इस मंदिर को तोड़ा गया था और इस पर बहुत ज्यादा आक्रमण भी हुए थे साथी इसमें चौधरी शताब्दी के दिल्ली संतलत पर आर्मी कमांडो मालिक कापुर के द्वारा इसे लूटा गया और 16वीं शताब्दी में अंतिम बार इसका पुनर्निर्माण किया गया इस मंदिर में देवी पार्वती और शिव जी की पूजा होती है साथी यहां पर भगवान शिव को संदेश पर कहा गया है इसीलिए इस मंदिर को मीनाक्षी संदेश पर टेंपल भी कहा जाता है।
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Thanks…
Thank aap ne etani aachi jaankari di