the bird died कि मौसम खुलने वाला है भीगे झुरमुट के बटुए से
बहुत पुराना गीत निकाला
गीला सीला,
वही चोंच में लिए उड़ी दिशा टोहती वैसे जैसे
कविता की पहली लाईन गीत बेच चुग्गा लाएगी, लगता है,
मैंने भी अपने पॉकेट का अंतिम ही तब नोट निकाला और उड़ाया जैसे कभी कबूतर उड़ा दिए थे नूरजहाँ ने
किसकी नूरजहाँ हूँ मैं इस अँधियारे कमरे में यूँ टीन खुरचती आटे की।
सब मंजर हैं अलग-अलग पर हैं सभी मंज़र यात्रा के ही …
और पूरी होती है जब यात्रा तो शुरू होती है एक और यात्रा देखते हैं जिसे सभी और पिंजरे से आजाद होकर पेड़ की डाल पर बैठा पंछी तो एक यात्रा यह भी
….एक वह यात्रा
हैं दोनों यात्राएँ ही
बस बदल जाते हैं अर्थ यात्रा के|
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